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Breaking News Madhya Pradesh : भोपाल गैस त्रासदी वाले जहरीले तालाब में पानी फल की खेती और मछली पालन, बढ़ी चिंता

 


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भोपाल गैस त्रासदी वाले जहरीले तालाब में पानी फल की खेती और मछली पालन, बढ़ी चिंता

राजधानी भोपाल की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए शहर में कई तालाब हैं। उन्हीं में से एक तलाब ऐसा भी है, जिसमें गैस त्रासदी के वक्त का कचरा है। उसमें आज भी सीवेज का पानी गिरता है। मगर उसी पानी में पानी फल को उगाया जा रहा है। ऐसे में आशंका व्यक्त की जा रही है कि इसकी उपज विषाक्त हो सकती है। यहां से निकले पानी फल को बाजारों में बेचा जा रहा है। मगर प्रशासन की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।


37 साल पहले 1984 में भोपाल गैस त्रासदी झेल चुका है। आज भी लोग उसे भूले नहीं हैं, हजारों लोगों की जानें गई थीं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2200 लोग मारे गए थे। हादसे वाली जगह के ठीक बगल में चार फुटबॉल मैदान के बराबर का एक तालाब है। 5.82 एकड़ में फैला यह तालाब ब्लू मून कॉलोनी के बगल में है। यहां से यूनियन कार्बाइड प्लांट पास में ही है। कंपनी इसे सौर वाष्पीकरण तालाब के रूप में इस्तेमाल करती थी।

तोमर साथ मुरैना में 'महाराज' का हुआ ऐसा स्वागत, लोग बोले कुछ तो है बात
  • केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने निर्धारित समय 11:30 बजे मुरैना के चंबल राजघाट पुल पर पहुंचे। यहां पर उनका स्वागत करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत एमपी सरकार के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, ग्वालियर जिले के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट समेत ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर उपस्थित रहे। यहां पर हजारों की संख्या में पहुंचे बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। इसके बाद सिंधिया आगे बढ़े।

  • मुरैना शहर में पहुंचने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों ने उनके ऊपर गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश की है। इस दौरान सिंधिया समर्थकों का जोश हाई दिखा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद भी गाड़ी पर खड़े होकर समर्थकों का अभिवादन कर रहे थे। इस तरह के स्वागत से वह काफी गदगद नजर आए हैं। दिल्ली से मुरैना में प्रवेश करने बाद महाराज हर जगह समर्थकों की भीड़ देख रुकते नजर आए हैं।

  • वहीं, ग्वालियर-चंबल में नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया बड़े नेता हैं। दोनों केंद्र में मंत्री हैं। तोमर और सिंधिया को लेकर मीडिया में कई तरह की खबरें आते रहती हैं। इससे बचने के लिए दोनों कई मौकों पर यह जताने की कोशिश करते हैं कि हम साथ-साथ हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज भी कहा है कि हम और नरेंद्र सिंह जी एक साथ हैं, ग्वालियर-चंबल के विकास के लिए हम तत्पर हैं।

  • वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के चंबल दौरे से एमपी की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साध रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के आरोपों पर कहा कि हम सब मिलकर विकास करेंगे। प्रधानमंत्री के निर्देश पर मंत्रालय का कार्य व्यवस्थित कर क्षेत्र में आए हैं। कांग्रेस का काम है, आरोप लगाना और हमारा काम है जनता का काम करना।

  • चंबल में ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह की जोड़ी को देखकर नई बहस शुरू हो गई है। अभी तक दोनों एक-दूसरे के खिलाफ राजनीति करते थे। अब दोनों साथ में हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास अभी भी उस इलाके में दोनों के खिलाफ कोई विकल्प है। ग्वालियर में कांग्रेस महाराज के रोड शो का विरोध कर रही है। नरेंद्र सिंह तोमर ने मुरैना में बीजेपी के पुराने नेताओं से सिंधिया का परिचय करवाया है। मुरैना से ग्वालियर पहुंचने तक कई जगहों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का स्वागत होगा।


इसके बारे में माना जाता है कि 1970 के दशक से लेकर 1984 तक कई टन मिथाइल आइसोसाइनेट इसमें फेंका गया है। गैस त्रासदी के बाद स्थानीय लोगों ने इस तालाब को जहरीला तालाब घोषित किया था।

जहरीली हवा ने पिछले साल दिल्‍ली में 57 हजार को वक्‍त से पहले मौत की नींद सुला दिया, प्रदूषण के ये आंकड़े डराते हैं
  • WHO की इन गाइडलाइंस का पालन करने के लिए देश कानूनी रूप से बाध्‍य नहीं हैं। WHO ने दावा किया कि अगर सालाना औसत PM 2.5 से होने वाली मौतों में 80% की कमी लाई जा सकती है।

  • WHO ने PM2.5 की जो सेफ लिमिट बताई है, पिछले साल दिल्‍ली की हवा में उससे 17 गुना ज्‍यादा PM2.5 पार्टिकल्‍स थे। नई गाइडलाइंस के हिसाब से दिल्‍ली ग्‍लोबल स्‍टैंडर्ड्स मीट नहीं कर पाएगी। ग्रीनपीस इंडिया का एक एनालिसिस बताता है कि दुनिया के 100 सबसे ज्‍यादा आबादी वाले शहरों में से कम से कम 79 ऐसे हैं जो PM2.5 की पुरानी सीमा पार कर चुके हैं। ग्रीनपीस के डेटा में 2020 में दिल्‍ली के औसत PM2.5 को 87 मिलीग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर रखा है। यह आंकड़ा WHO की पुरानी गाइडलाइंस के हिसाब से 8 गुना ज्‍यादा है। नई गाइडलाइंस के बाद, दिल्‍ली का आंकड़ा ग्‍लोबल स्‍टैंडर्ड से 17 गुना ज्‍यादा हो जाएगा।

  • सिस्‍टम ऑफ एयर क्‍वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) की एक स्‍टडी बताती है कि दिल्‍ली में PM2.5 कणों का सबसे बड़ा सोर्स ट्रांसपोर्टेशन (41%) है। धूल दूसरा सबसे बड़ा प्रदूषणकारी फैक्‍टर है। बड़े शहरों में पिछले साल (2019-29) PM2.5 का सालाना उत्‍सर्जन देखें तो दिल्‍ली में 77 गीगाग्राम, अहमदाबाद में 57 गीगाग्राम, मुंबई में 45 और पुणे में 30 रहा है।

  • ग्रीनपीस ने वायु प्रदूषण के चलते समय से पहले होने वाली मौतों और वित्‍तीय नुकसान पर भी आंकड़े सामने रखे हैं। तोक्‍यो, दिल्‍ली, शंघाई, मेक्सिको सिटी, साओ पाउलो, न्‍यूयॉर्क, इस्‍तांबुल, बैंकॉक, लंदन और जोहान्‍सबर्ग में से भारतीय राजधानी के भीतर वक्‍त से पहले सबसे ज्‍यादा मौतें (57,000) देखी गईं। एयर पलूशन की वजह से जीडीपी में भी 14% का नुकसान हुआ।


1990 की दशक की शुरुआत तक इस तालाब से लोगों को दूर रखने के लिए छह से आठ गार्डों की तैनाती होती थी। साथ ही तालाब को बंद कर दिया गया था। यह तालाब झांसी से बीजेपी सांसद अनुराग शर्मा के चचेरे भाई अतुल शर्मा की जमीन पर है। उन्होंने यूनियन कार्बाइड की कंपनी को यह जमीन पट्टे पर दी थी। 2003 में इसकी वापसी के लिए उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ी। इसके बाद जमीन का स्वामित्व फिर से उनके पास आ गया।

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2013 में शर्मा ने तालाब को भरकर उसके ऊपर एक हाउसिंग कॉलोनी बनाने की कोशिश की। लेकिन गैस त्रासदी से बचे लोगों ने यह दावा करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। कहा कि इस तालाब को जहरीला माना गया है, यहां रहने वाले व्यक्ति के लिए स्थायी स्वास्थ्य का खतरा है। 2013 में सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफनामे में, राज्य सरकार ने कहा कि एक अनुविभागीय मजिस्ट्रे ने शर्मा को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 133 के तहत भूमि पर किसी भी व्यावसायिक गतितिविधियों के करने से प्रतिबंधित कर दिया था। मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है।

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पानी फल की खेती
वहीं, इसी साल की शुरुआत में स्थानीय लोगों ने देखा कि दो किसान यहां नियमित रूप से आ रहे हैं और पानी फल की खेती कर रहे हैं। इनकी पहचान सतीश रिचारिया और दीपक रायकवार के रूप में हुई है। इस महीने पूरे भोपाल में करीब तीन हजार किलो पानी फल बेचने की तैयारी थी। इसके बाद स्थानीय लोगों ने अधिकारियों से संपर्क किया, जिन्होंने खेती और फसली की कटाई को रोक दिया था।

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ब्लू मून कॉलोनी के निवासी मोहम्मद शफीक ने अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा कि तालाब का इस्तेमाल यूनियन कार्बाइड कंपनी 1977 से 1984 तक करती थी। यहां पाइप के माध्यम से रासायनिक कचरा को फेंका जाता था। यहां से फैक्ट्री की दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर है। पिछले चार दशक से हमलोग जान रहे हैं कि इसका पानी पीना भी घातक है, अधिकारियों की तरफ से भी हमें बार-बार यहीं बताया जाता है। कभी यहां गार्डों की ड्यूटी होती थी। अचानक से यह खेती के लिए कैसे ठीक हो सकता है।
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भू जल है जहरीला
वहीं, दूसरे स्थानीय लोगों ने बताया कि मिथाइल आइसोसाइनेट के डंपिंग के कारण यहां तीन किलोमीटर के दायरे में भूजल जहरीला हो गया है। स्थानीय निवासी ने कहा कि गैस त्रासदी के बाद जहरीले कचरे का निपटान नहीं किया गया है। कई रिसर्च में पता चला है कि खतरनाक अपशिष्ट तीन किलोमीटर के दायरे में भूजल में प्रवेश कर चुके हैं। यहां रहने वाले लोग केवल नल के पानी पर निर्भर हैं। लोकल लोगों ने कहा कि पिछले कुछ सालों में सावधानियां ढीली जा रही हैं। सबसे पहले कुछ लोगों ने तालाब के छोटे क्षेत्र में मछली पकड़ने की शुरुआत की और फिर खेती की है। यह खतरनाक है।

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वहीं, भोपाल और उसके आसपास के गांवों में जमीन ठेके पर लेकर खेती करने वाले रिचारिया और रायकवार ने कहा कि पानी में कुछ भी गलत नहीं है। उसने बताया कि हमने जमीन मालिक से एक साल के लिए तालाब को 25 हजार रुपये के किराए पर लिया था। स्थानीय लोग मानसून के बाद तालाब में मछली पालन कर रहे थे, वह ठीक है। अगर हमने इसमें व्यवस्थित तरीके से करना शुरू कर दिया है तो क्या समस्या है। इसमें इतनी मेहनत लगी है। जब हमने खेती शुरू की थी, तब स्थानीय लोगों ने कुछ नहीं कहा था, लेकिन जब हमारी फसल बाजार में बिक्री के लिए तैयार है, तो वे मुद्दा उठा रहे हैं।

17 संस्थाओं ने किया है शोध
अब यहां पानी फल की खेती हो रही है, जो कि स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है। कुछ लोगों ने बताया कि यह तालाब राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान, विज्ञान और पर्यावरण केंद्र, ग्रीनपीस, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्र और अन्य संस्थाओं का यह अध्ययन का विषय रहा है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रत्येक तालाब में फेंके गए कचरे के कारण भूजल में जहरीले रसायनों की उपस्थिति का खुलासा किया था। भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान की तरफ से 2017 में किए गए शोध में यह खुलासा हुआ था कि मिट्टी और भूजल में छह लागातार कार्बनिक प्रदूषकों, भारी धातुओं और जहरीले रसायनों की उपस्थिति का पता चला है। मगर सवाल है कि जहरीले तालाब में खेती की अनुमति कैसे दी गई है। यह फल भोपाल के बाजार में बिक्री के लिए आता है तो लोगों की सेहत पर असर पड़ सकता है।

वहीं, किराए पर तालाब लेने वाला रायकवार को कहा गया था कि तालाब लेने में उसे कोई परेशानी नहीं है। तालाब मालिक अतुल शर्मा ने फोन पर इसे लेकर टिप्पणी करने से मना कर दिया।

जिला प्रशासन ने रोक लगाया
वहीं, खबर सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने शनिवार को हस्तक्षेप किया है। प्रशासन ने किसान को तालाब में खेती करने से रोक दिया है। साथ ही फल भी इकट्ठा करने से मना कर दिया है। भोपाल कलेक्टर अविनाश लावनिया ने कहा कि हम तालाब से मछलियों और पानी के चेस्टनट को साफ कर देंगे और भविष्य में ऐसी किसी भी गतिविधि को रेकने के लिए चेतावनी बोर्ड के साथ तालाब के चारों ओर बाड़ भी लगाएंगे।



वहीं, इसमें खेती करने वाले किसानों का कहना है कि हम कर्ज में हैं। हमने साहूकारों से खेती के लिए दो लाख रुपये कर्ज लिए हैं। अब हमारा क्या होगा। हम कर्ज कैसे चुकाएंगे। भोपाल नगर निगम के पास इस मसले को लेकर कोई जवाब नहीं है। उनका कहना है कि जमीन मालिक के पास है, जिसे जल्द ही नोटिस दिया जाएगा। निगम ने कहा है कि इस जमीन पर व्यावसायिक गतिविधियां सख्त वर्जित हैं।


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